चुनावी सफर में द माही न्यूज़ आपको बताएगा चुनावी रण के उस खेल के बारे में जिसमे कांग्रेस 4 बार तो भाजपा 2 बार हार गई। मगर उस से पहले आप सभी चेनल को सब्सक्राइब कर बेल आइकन पर क्लिक करे पूर्व में ये खबर हमारे यूट्यूब चैनल पर प्रसारित की जा चुकी है खबर शुरु करने से पहले आप सभी से विनती है लिंक पर क्लिक कर चैनल को सब्सक्राइब कर देवे।https://youtu.be/qLtA_3BtwcU
................. साहिल अगवान ✍️...…........
मंदसौर-नीमच में जब भी मतदाताओं की खामोशी टूटी तो किसी एक पार्टी को गंभीर खामियाजा उठाना पड़ता है। दोनों जिलों में कुल 7 विधानसभा सीट है। खामोशी वाला फैसला जब आता हे तो बड़े अंतर वाला ही आता है। ऐसा एक नहीं बल्कि 6 बार ऐसा हो चुका है जब किसी एक पार्टी का पूर्ण रूप से सफाया हुआ हो। 4 बार यह दर्द कांग्रेस ने झेला तो 2 बार जनता पार्टी-भाजपा झेल चुकी। विधानसभा चुनाव 2023 निर्णायक स्थिति की ओर बढ़ रहा है और दोनों जिलों से मंदसौर, गरोठ, सुवासरा, मल्हारगढ़, जावद, नीमच व मनासा जैसी सीटों पर मतदाता खामोश है। मालवा की इन सीटों के बारे में द माही न्यूज़ आपको बताएगा ऐसी जानकारी जिससे अभी तक आप पूरी तरह से वाकिफ नहीं होंगे जानकारी आज हम आपको बताएंगे कि मंदसौर नीमच में भाजपा और कांग्रेस का कब-कब हुआ पूर्ण सफाया या, कब किसका हुआ सूपड़ा साफ।

1972 में कांग्रेस सभी सीटे जीती जनसंघ के प्रत्याशियों की हुई हार पूर्ण रूप से सफाए का यह पहला मौका था जब कांग्रेस को सभी सीटों पर जीत मिली। मंदसौर से श्यामसुंदर पाटीदार, सीतामऊ से धनसुखलाल भाचावत, गरोठ से श्री कस्तूरचंद समेत अविभाजित मंदसौर जिले के सभी उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। जनसंघ से सभी उम्मीदवार की हार हुई थी।
1977 में जनता पार्टी जीती, 2 मुख्य्मंत्री बने,
1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी थी और मंदसौर-नीमच की सभी सीटों पर कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ। इसी चुनाव में जनता पार्टी ने मंदसौर जिले से ही सुंदरलाल पटवा और वीरेंद्रकुमार सकलेचा जैसे दो विधायकों को मुख्यमंत्री बनाया था। कांग्रेस के तमाम प्रत्याशी हार गए थे।
1990 में भाजपा जीती, मंदसौर से एक मंत्री दिया
1990 में भाजपा 7-0 से जीती। मंदसौर से भाजपा से कैलाश चावला, सीतामऊ से नानालाल पाटीदार, गरोठ से राधेश्याम मांदलिया समेत सातों प्रत्याशी जीते। इस चुनाव में कांग्रेस के तमाम दिग्गज चुनाव हार गए थे। भाजपा से कैलाश चावला मंत्री बनाए गए थे।
1998 में सातों सीटों पर कांग्रेस जीती, 3 मंत्री दिए
1998 में दोनों जिलों की सातों सीटों पर कांग्रेस जीती। मनासा से नरेंद्र नाहटा मंत्री बने, जावद से घनश्याम पाटीदार, गरोठ से सुभाष सोजतिया मंत्री बने। दोनों जिलों की सातों सीटों को कांग्रेस ने 7-0 से क्लीन स्वीप किया, कांग्रेस को लगातार दूसरी बार क्लीन स्वीप का मौका मिला। यहां भाजपा के सभी दिग्गज नेताओं को हार झेलना पड़ी थी।
2003 में सातों सीटों पर कमल खिला, 3 मंत्री हार गए थे।
2003 के चुनाव में मंदसौर-नीमच की सातों विधानसभा सीटों पर कमल खिला। खास बात ये रही कि अधिकांश भाजपा प्रत्याशी 25 हजार से ज्यादा मतों से जीते। कांग्रेस के मंत्री सुभाष सोजतिया, घनश्याम पाटीदार व नरेंद्र नाहटा भी चुनाव हार गए थे। सुवासरा में 35 हजार, मनासा में 25 हजार, मंदसौर में 22 हजार, गरोठ में 15 हजार, नीमच में 25 हजार मतों से कांग्रेस प्रत्याशी को हार झेलना पड़ी।
2018 में एक सीट कांग्रेस के पास आई मगर सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा में चली गई।
2018 नीमच मंदसौर से एक सीट से हरदीप सिंह डंग चुनाव जीते मगर जल्द ही भाजपा की सदस्यता ले ली फिर सत्ता परिवर्तन के बाद हुए उप चुनाव में कांग्रेस की एक सीट भी भाजपा के खाते में चली गई और कांग्रेस का फिर से सफाया हो गया।
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