मंदसौर। टेक्नोलॉजी के बढ़ने से एक तरफ जहां हमारा लाइफ आसान हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर इसे कई सारे नुकसान भी हो रहे हैं। टेक्नोलॉजी के गलत उपयोग के करण साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हर रोज हजारो लोग साइबर ठगी के शिकार हो जा रहे हैं। इससे बचने के लिए सरकार कई सारे उपाय पहले से ही निकाल रखी है। पर अब सरकार ने भारत के हर एक नागरिक को साइबर अपराध रे बारे में जागरूक करने के लिए एक नई पहल शुरू की है। दरअसल, दूरसंचार विभाग ने टेलीकॉम कंपनियों को आदेश दिया है कि वे तीन महीने तक दूरसंचार उपभोक्ताओं को प्रतिदिन आठ से 10 बार साइबर अपराध जागरूकता वाली कॉलर-ट्यून सुनाएं। जिसके बाद अब किसी को कॉल करने पर साइबर अपराध जागरूकता वाली कॉलर-ट्यून सुनने को मिल रही हैं।
अगर साइबर अपराध की बात की जाए तो मध्य प्रदेश साइबर ठगों के निशाने पर है. यहां साइबर ठगी और ऑनलाइन फ्रॉड के मामले तेजी बढ़ रहे हैं. इस संबंध में मुख्यमंत्री ने सदन में जो आंकड़े पेश किए हैं, उसके मुताबिक प्रदेश में ऐसे अपराधों में 111 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.मध्य प्रदेश साइबर फ्रॉड करने वाले डिजिटल ठगों के निशाने पर है. हालत ये है कि यहां डिजिटल ठगी के मामलों में 130% की वृद्धि दर्ज की गई है. फर्जी कस्टमर केयर कॉल, डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड, और ऑनलाइन ठगी के मामलों ने नागरिकों के सामने चुनौतियां बढ़ा दी हैं. एक ताजा मामला मंदसौर के सुरज गुप्ता का इन्होंने शिकायत दर्ज करवाई कि उन्हें 27 नवंबर को एक मेल आया था। जिसमें उसे TRENT LIMITED की फ्रेंचाइजी देने का प्रपोजल दिया था। इसके बाद उन्हें कॉल कर जुडीओ फ्रेंचाइजी की जानकारी दी गई। सुरज ने 2 दिसंबर से 17 दिसंबर तक इंडियन ओवरसीज बैंक और फेडरल बैंक के अलग-अलग खातों में 38 लाख 67 हजार 710 रुपए आरटीजीएस के जरिए ट्रांसफर किए। आरोपी ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र में एक अमाउंट और डालने का बोला। सुरज ने बैंक में जाकर इस अकाउंट के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि यह अकाउंट एक बचत खाता है, जो किसी अन्य व्यक्ति के नाम से है। इसके बाद सुरज को धोखधड़ी का पता चला, लेकिन तब तक साढ़े 38 लाख रुपयों की धोखाधड़ी हो चुकी थी। ऐसे ही साइबर ठगी के ओर भी मामले मंदसौर जिले में घटित हो चुके है।
साइबर अपराध के चौंकाने वाले आंकड़े विधानसभा में पेश
मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मुख्यमंत्री और गृह मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल पर राज्य में बढ़ते साइबर अपराध के आंकड़े साझा किए.
डिजिटल अरेस्ट के मामले
2024 में: 26 मामले दर्ज हुए, जिनमें 12.60 करोड़ रुपये की ठगी की गई.
2023 में: केवल 1 मामला था, जिसमें ₹96,968 का नुकसान हुआ था.रिकवरी: 2024 में कुल ठगी की राशि में से सिर्फ ₹72.38 लाख (5.74%) की ही वापसी हो पाई.
साइबर अपराधियों की गिरफ्तारियां
अब तक 38 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से ज्यादातर आरोपी राजस्थान, बिहार, गुजरात, केरल और जम्मू-कश्मीर से हैं.
कुल साइबर फ्रॉड के आंकड़े
2023 और 2024 में साइबर फ्रॉड से राज्य के लोगों को ₹150 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ.
2023 में 444 मामले दर्ज हुए, जिनमें ₹44.26 करोड़ का नुकसान हुआ.
2024 में मामलों की संख्या बढ़कर 521 हो गई, जो 17% की वृद्धि है.नुकसान बढ़कर ₹93.60 करोड़ हो गया, यानी 111% की वृद्धि दर्ज है.2023 में 20% की रिकवरी हुई थी, जबकि 2024 में यह घटकर केवल 9% रह गई.
अगर देखा जाए तो प्रशासनिक आंकड़ों से कई ज्यादा अमाउंट का साइबर फ्रॉड प्रदेश में हो चुका कई धोखाधड़ी की रिपोर्ट प्रशासन तक नहीं पहुंचती कोई छोटी रकम होने के कारण आगे कार्यवाही नहीं करता तो कोई इज्जत के डर से अपने साथ हुई धोखाधड़ी को उजागर नहीं करता।

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