मन्दसौर। परिवहन विभाग कार्यालय में नवंबर 2022 से अब तक टूव्हीलर-फोरव्हीलर वाहनों के रजिस्ट्रेशन कार्ड की पेंडेंसी है। रजिस्ट्रेशन कार्ड का ऑर्डर समय पर नहीं करने से ये हालात बने हैं। जिले के अंतिम छोर से लगी 135 किमी दूर भानपुरा तहसील हो या 110 किलोमीटर दूर गरोठ वहां से आवेदक यहां आकर भटक रहे हैं। ये मामला टू-व्हीलर और फोर व्हीलर से जुड़ा है। इसी तरह ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यू कराने में भी लेटलतीफी हो रही। पेंडेंसी 2500 तक जा पहुंची हैं। इसी हफ्ते मंदसौर एआरटीओ रीना किराड़े का तबादला आदेश जारी हो चुका है। प्रभार संभाल रहीं अधिकारी का कहना है कि डिटेल लेकर जल्द निपटारा कराएंगे।फोरलेन स्थित परिवहन कार्यालय की सेवाओं का लाभ वाहन मालिकों, चालकों को समय पर नहीं मिल रहा है। बीच के कुछ महीनोंं में स्मार्ट कार्ड की चिप ना मिलने के चलते पेंडेंसी थी लेकिन बाद में हालात बरकरार रहे। यहां मंदसौर, मल्हारगढ़, पिपलियामंडी, नारायणगढ़, नगरी, दलौदा, सुवासरा, शामगढ़, गरोठ, भानपुरा से लेकर गांधीसागर तक के लोग परिवहन सेवाओं संबंधी काम के लिए पहुंचते हैं। इसी तरह जिन लोगों का ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यू कराना है वो सेवा 2 हफ्ते की देरी तक पहुंच रही है, जबकि आवेदन के 24 घंटे बाद में यह काम हो सकता है क्योंकि दस्तावेज अपडेट करने के बाद कार्ड प्रिंट करके ही देना होता है।
स्मार्ट कार्ड वाली मशीन के जरिए प्रोसेस होती है। जानकारी सामने आई कि नवंबर 2022 के बाद से स्थानीय परिवहन विभाग द्वारा स्मार्ट कार्ड नहीं मंगाए गए, ऐसे में उस वक्त जितनी मात्रा थी उससे अगले एक-डेढ़ माह तक ही काम हो पाया। इसके बाद से पैडेंसी बरकरार है।हालात ये हैं कि परिवहन विभाग से राेज 100 से 200 लोग ही रजिस्ट्रेशन कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस ले जा रहे हैं। जबकि इन दोनों कैटेगरी को मिलाकर पेंडेंसी 2500 तक है। यही स्थिति रही तो लगातार बढ़त दर्ज होगी। हालांकि दूसरा पक्ष ये भी है कि परिवहन विभाग ने पैंडिंग केसेस में से कुछ की ऑनलाइन इंट्री कर दी है लेकिन कार्ड जारी नहीं किए जाने से वाहन चालकों को पुलिस जांच के दौरान अपना पक्ष रखने में परेशानी आती है और जुर्माना तक लग जाता है। आफिस जाने के लिए 100 रु. अतिरिक्त खर्च होते हैं लोगो का कहना है की मंदसौर तो बस से आ जाते हैं लेकिन बस स्टैंड से फोरलेन स्थित आरटीओ कैंपस जाने के लिए ऑटो व अन्य वाहनों के लिए 100 रुपए अतिरिक्त खर्च करना पड़ते हैं। बार-बार आ नहीं सकते। प्रशासन को निराकरण करना चाहिए।

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